टोयोटा लांच करेगा 1200km रेंज वाली गाडी जिसमे होगी सॉलिड-स्टेट बैटरी

टोयोटा की सॉलिड-स्टेट बैटरी

इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्किट में तेहेलका मचने के लिए, टोयोटा मोटर कारपोरेशन ने अपने कुछ नए प्लान्स का खुलासा किया है। टोयोटा मोटर कारपोरेशन कार्स की सेल्स के मामले में पुरे ही विश्व में ग्लोबल लीडर है। यह कंपनी अपने इस नए प्लान से पूरी ही EV इंडस्ट्री को 2030 तक बदलने वाली है। भले ही टोयोटा ने अभी 2022 में पूरी दुनिया में 9.5 मिलियन ICE इंजन वाली कारे बेचीं हो परन्तु EV के एडॉप्शन और सेल्स के मामले में टोयोटा आज भी बहुत पीछे है। इसलिए अब टोयोटा अपना फोकस EVs की ओर बड़ा के 2030 तक 30 EVs को मार्किट में लांच करना चाहती है। जिसको लेके टोयोटा सोच रही है की वो 3.5 मिलियन यूनिट्स की सेल कर लेगी।

सॉलिड-स्टेट बैटरी

solid State बैटरी
सॉलिड-स्टेट बैटरी

टोयोटा कंपनी अपना पूरा ध्यान अभी बैटरी को और भी ज्यादा एडवांस बनाने में लगा रही है। ऐसा इसलिए है क्युकी अगर कोई चीज़ है जो की EV के एडॉप्शन को दुनिया बार में रोक रही है, तो वो है EV की बैटरी, क्युकी सभी EV के ग्राहक और एंथोसिएस्ट के दिल में EV की रेंज, बार बार चार्ज करने की दिकत और सेफ्टी को लेके कई सवाल होते है। और यह तीन चीज़ ही लोगो का मान EV से हटा के ICE इंजन की और ले जाता है। यह तीनो की दिखते एक अच्छी और एडवांस बैटरी के अजाने से ख़तम हो सकती है।

टोयोटा कंपनी अभी एक नए प्रकार की बैटरी पे काम कर रही है, इस बैटरी की रिसर्च में कंपनी ने 1000 से भी अधिक पेटेंट्स को अपने नाम करा लिया है। कंपनी अब तैयार है अपनी इस नई बैटरी को ग्लोबल मार्किट में उतरने के लिए, जहा यह कंपनी अपनी 2027 की EVs में पहेली बार इस मॉडर्न बैटरी का प्रयोग करेगी। यह सॉलिड स्टेट बैटरी 1200 km तक की रेंज देने का दवा करती है। टोयोटा के अनुसार उनकी यह बैटरी मत्र 10 मिनट में पूरी चार्ज हो जाया करेगी।

सॉलिड-स्टेट बैटरी के फाईदे

solid State बैटरी
सॉलिड-स्टेट बैटरी

सॉलिड स्टेट बैटरी में अपनी कई सारी खूबियों के कारण खास और अच्छी है। यह बैटरी सेफ्टी के मामले में मार्किट में आने वाली लिथियम आयन बैटरी से कई ज्यादा सुरक्षित है। मार्किट में मिलने वाली सादारण बटेरियो में एनोड पे डेनड्रिटिस उग जाते है, जो की इन बटेरिएस की परफॉर्माने और सेफ्टी को काम कर देत है। सॉलिड स्टेट बैटरी में आपको रैपिड चार्जिंग देखने को मिल जाती है, जो की ली-आयन के इलेक्ट्रोड्स के बिच तेज़ हल चल के कारण देखने को मिलती है।

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